काशी के शिल्पकारों को बजट में मिली सौगात
विकास पाठक, वाराणसी हस्तकला और उत्कृष्ट कारीगरी के लिए दुनिया में विख्यात बनारस के जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) एवं बौद्धिक सम्पदा (आईपीआर) अधिकार में शामिल उत्पादों से जुड़े शिल्पकारों की ‘तकदीर’ बदलने वाली है। शुक्रवार को संसद में पेश मोदी पार्ट-टू सरकार के पहले आम बजट (बही खाता) में पहली बार जीआई व बौद्धिक सम्पदा के प्रमोशन का प्रावधान किया गया है। इससे जीआई का हब बने बनारस के शिल्पकारों को अंतरराष्ट्रीय बाजार का लाभ मिलना तय है। साथ ही केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के जरिए ट्रेनिंग से लेकर क्लस्टर आदि की सुविधाओं से जिंदगी बदल जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के साथ पूर्वांचल परिक्षेत्र के 11 उत्पादों को जीआई पंजीकरण का गौरव हासिल है। छह और उत्पादों के जीआई पंजीकरण की कानूनी प्रक्रिया अंतिम दौर में हैं। देश ही नहीं दुनिया में एक क्षेत्र में इतनी ज्यादा संख्या में उत्पादों का जीआई पंजीकरण कहीं और नहीं है। इनसे जुड़े शिल्पकारों की संख्या लाखों में हैं। आजादी से लेकर अब तक के संसदीय इतिहास में शुक्रवार पहला दिन रहा जब संसद में पेश बजट में जीआई और बौद्धिक संपदा को जगह मिली है। खास बात यह भी रही कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीआई के प्रमोशन का प्रावधान किए जाने की घोषणा न सिर्फ अंग्रेजी में बल्कि हिन्दी में भी की। वित्त मंत्री की घोषणा से शिल्पकारों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। यह होगा फायादा जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रजनीकांत ने बजट में की गई घोषणा पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि बनारस परिक्षेत्र समेत देशभर के करोड़ों शिल्पकारों और जीआई उत्पादकों को इससे सीधा फायदा होगा। जीआई उत्पादों के लिए दुनिया के नए बाजार के रास्ते खुलने से कारोबार रफ्तार पकड़ेगा। विदेशी मुद्रा से शिल्पकारों और बुनकरों का जीवन आसान हो जाएगा। वहीं, सरकार की ओर से अलग-अलग उत्पादों के लिए बनाए जाने वाले कलस्टर के जरिए कच्चे माल का संकट तो दूर होगा ही, बाजार पर बिचौलियों का कब्जा भी खत्म हो जाएगा। ये उत्पाद जीआई में शामिल बनारस और आसपास जिलों के शिल्प उत्पादों में बनारसी साड़ी, बनारस में बनने वाले लकड़ी के खिलौने, मेटल क्राफ्ट, गुलाबी मीनकारी, कारपेट, दरी, ग्लास बीड्स, सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क, ब्लैक पॉटरी, गाजीपुर की वॉल हैंगिंग और चुनार बलुआ पत्थर जीआई में पंजीकृत है। गोरखपुर के टेरा कोटा, मीरजापुर का पीतल बर्तन, रेड क्ले पॉटरी, बनारस हैंड प्रिंट, जरदोजी और वुड कार्विंग के पंजीकरण की जीआई रजिस्ट्री (चेन्नै) में लंबी कानूनी प्रक्रिया जल्द पूरी होने की उम्मीद है। जीआई पंजीकरण के साथ देश के बौद्धिक सम्पदा अधिकार में उत्पादों को शामिल किए जाने से इनकी नकल नहीं की जा सकती है।
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काशी के शिल्पकारों को बजट में मिली सौगात
Reviewed by Fast True News
on
July 05, 2019
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