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चेन्नै जल संकटः संभलिए, आप भी नहीं हैं दूर

चेन्नै/नई दिल्ली देश के दक्षिणी शहर चेन्नै में लगातार 200 दिनों के सूखे के बाद गुरुवार को कुछ बारिश हुई। लेकिन, लंबे वक्त से प्यासे इस शहर के लिए यह काफी देर से और कम हुई। चेन्नै बीते 30 सालों के सबसे भीषण सूखे से गुजर रहा है और जीरो सिटी बनने की कगार पर है। चेन्नै के जल संकट का मामला संसद में भी पहुंच चुका है। AIADMK ने राज्यसभा में इस मुद्दे पर नोटिस दिया है। दूसरी तरफ, डीएमके भी इस मुद्दे को संसद में जोर-शोर से उठाने की तैयारी में है। चेन्नै में हालात यह हैं कि स्कूली बच्चों के बैग भारी हो चुके हैं क्योंकि उन्हें किताबों के साथ ही अपने पीने के पानी की बोतलें भी ले जानी पड़ती हैं। स्कूलों में पानी की कमी है। हालत यह है कि तमिलनाडु के सबसे अहम शहर और आईटी सेक्टर के केंद्र चेन्नै में कंपनियां एंप्लॉयीज को घर से ही काम करने को कह रही हैं। रिहायशी अपार्टमेंट्स में पानी की मात्रा तय की जा रही है। शहर में पाइपलाइन के जरिए सप्लाई जरूरत का 10 फीसदी भी नहीं है। ऐसे में शहर को पानी के टैंकरों का इंतजार रहता है। कई बार यह इंतजार तीन से 4 सप्ताह तक का होता है और लोगों को यह पता नहीं होता कि अगली बार कब आएगा। चेन्नै का यह भीषण जल संकट देश के अन्य हिस्सों के लिए भी खतरे की घंटी है। जानें, कैसे हमें भी सावधान रहने की है जरूरत... सूख रहे हैं जलाशय चेन्नै के शहर सभी 4 मुख्य जलाशयों में पानी की घोर कमी है। आज इन जलाशयों में उनकी क्षमता का महज 1 फीसदी ही पानी है। चेन्नै फिलहाल काफी हद तक अपने तीन मेगा वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट पर निर्भर है। इनकी क्षमता 180 mld है और इनमें ओवरटाइम हो रहा है ताकि अपनी क्षमता का 80 से 90 फीसदी तक वे पानी उत्पादित कर सकें। नीतिगत खामियों ने पैदा किया है जल संकट दशकों तक चेन्नै में जिस मॉडल पर विकास होता रहा है, उसमें जलापूर्ति अजेंडे में ही नहीं थी। सरकार ने आईटी कॉरिडोर स्थापित किया। बिल्डर्स और आईटी कंपनियों को आमंत्रित किया। फ्लोर स्पेस बेनेफिट के साथ कंपनियां जमती चली गईं, लेकिन इन लोगों को पीने और अन्य जरूरतों के पानी कैसे उपलब्ध होगा, इस पर ध्यान नहीं दिया गया। प्राइवेट टैंकर माफिया के भरोसे है शहरशहर में फिलहाल 150 मेगा स्ट्रक्चर्स हैं, जिनका मालिकाना हक 650 बड़ी कंपनियों के पास है। इनमें 3.2 लाख लोग नौकरी करते हैं। इसके अलावा शहर में 12.5 लाख लोग रहने वाले हैं। लेकिन, चेन्नै में इनकी जरूरतों के लिए पाइप के जरिए वॉटर सप्लाई का कोई प्रबंध नहीं है। इसके अलावा बोरवेल की बात करें तो उनका कोई इस्तेमाल नहीं है क्योंकि उनसे निकलने वाला पानी बेहद खारा और प्रदूषित है। ऐसे में शहर में पीने के पानी का अकेला स्रोत महज प्राइवेट टैंकर हैं, जो माफिया चलाते हैं और उनके जरिए मोटी कमाई कर रहे हैं।


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चेन्नै जल संकटः संभलिए, आप भी नहीं हैं दूर चेन्नै जल संकटः संभलिए, आप भी नहीं हैं दूर Reviewed by Fast True News on June 21, 2019 Rating: 5

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